RHEUMATIC FEVER (आमवातज ज्वर) ::
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में वर्णित दो व्याधियाँ Rheumatoid Arthritis और Rheumatic Fever बहुत सारे common symptoms रखती हैं और एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं लेकिन Pathogenesis के मामले में दोनों बहुत अलग हैं ।जहाँ Rheumatoid Arthritis एक Auto immune disorder है वहीं Rheumatic Fever एक संक्रमण जन्य (Caused by Streptococcus bacteria ) व्याधि है और infection के पश्चात Immune system को प्रभावित करके लक्षण उत्पन्न करती है ।ये दोनों ही व्याधियाँ कालांतर में एक दूसरे के लक्षण पैदा करती हैं |दोनों ही व्याधियों में मुख्य लक्षण Inflammation (शोथ) होता है ।Rheumatoid Arthritis के patients में Heart disease की और Rheumatic fever में Arthritis की बहुत संभावना होती है |
Rheumatoid Arthritis और Rheumatic fever ये दो ऐसी व्याधियाँ हैं जिनको लेकर आयुर्वेद के विद्वानों में मत वैभिन्य पाया जाता है परन्तु अधिकांश विद्वान Rheumatoid Arthritis को आमवात और Rheumatic fever को आमवातज ज्वर मानते हैं ।वस्तुतः दोनों ही व्याधियों में जो common factor है वो है *Rheumatism.* इसके Symptoms दोनों व्याधियों में मौजूद होते हैं । Rheumatism की Definition में कहा गया है कि “Any of various conditions characterised by inflammation and pain in muscles,Joints and fibrous tissue.” यह Rheumatism ही हमारे आयुर्वेद का आमवात है जो दोनों व्याधियों में common है और दोनों ही का कारण वात दोष की विकृति एवं आम दोष के द्वारा स्रोतावरोध होना है ।उपरोक्त दोनों रोगों की inter relationship पर काफ़ी चर्चा की जा सकती है पर यहाँ हमारा उद्देश्य आमवातज ज्वर (Rheumatic fever) पर चर्चा करना है ।
Rheumatic fever सामान्यतः 5 से 10 साल के बच्चों में होने वाली बिमारी है परन्तु यह बड़ी उम्र के बच्चों और Adults में भी पायी जाती है ।Rheumatoid Arthritis की तरह इसमें भी Joints affected होते हैं पर यह रोग Bacterial infection की वजह से होने के कारण कुछ सप्ताह तक ही रहता है और सामान्य उपचार से ठीक हो जाता है परन्तु Severe cases में long term Heart damage होने की संभावना रहती है जिसे Rheumatic Heart disease कहा जाता है | इसकी pathogenesis के बारे में माना जाता है कि इस रोग का Causative bacteria (Streptococcus ) शरीर के अन्दर immune system को trike कर देता है और इसकी वजह से Body का immune system जो सामान्यतः infective bacteria को target करता है वो स्वत: अपने स्वस्थ tissue (particularly ,tissues of Heart,Joints,Skin and Central nervous system )पर attack करता है और इन tissues में severe Inflammation करके रोग उत्पन्न करता है । Rheumatic fever की वजह से Heart valves (Specially Mitral valves) को permanent damage की संभावना रहती है जिसे हम Rheumatic Heart disease कहते हैं ।
आमवातज ज्वर की आयुर्वेदिक सम्प्राप्ति ::
आमवात की जो सम्प्राप्ति आयुर्वेद में वर्णित है वही सम्प्राप्ति आमवातज ज्वर की है बस आगे उत्पन्न होने वाले लक्षणों में कुछ भिन्नता होती है ।
*विरूद्धाहार चेष्टस्य मंदाग्नेनिर्रश्चल्स्य च।*
* स्निग्धं भुक्तवतोह्यन्नं व्यायामन्चाथ कुर्वत ।।*
अर्थात् विरूद्ध आहार विहार (प्रकृति विरूद्ध ,समय विरूद्ध और संयोग विरूद्ध ) करने से , विरूद्ध चेष्टा करने से , स्निग्ध आहार (गरिष्ठ भोजन आदि ) करने के पश्चात बैठे रहने से,शारीरिक श्रम न करने से या भोजन करने के तुरंत पश्चात व्यायाम करने आदि कारणों से मंदाग्नि होकर आम दोष की उत्पत्ति होती है ।यदि यही आम दोष पित्त स्थान में पहुँच जाये तो उसका पाचन हो जाता है किंतु जब वात प्रकोपक कारणों से यह वात दोष से संयुक्त होकर आमाशय ,वक्षस्थल ,कंठ ,मस्तिष्क एवं संधि स्थलों आदि कफ वाले स्थानों में पहुँच जाता है तो अपक्व रह जाता है एवं धमनियों के मार्ग में प्रवाहित होने लगता है ।प्रवाहित होते हुआ आम दोष वात ,पित्त या कफ से संयुक्त होकर स्रोतावरोध कर देता है ।यही आमवात की अवस्था है जो दारुण लक्षणों को उत्पन्न करती है ।
FLOW CHART OF AAMVATAJ SAMPRAPTI ::
विरूद्धाहार , निश्चलत्वा , विरूद्ध चेष्टा , स्निग्ध भोजनोत्तर व्यायाम
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समान वायु ,पाचक पित्त एवं क्लेदक कफ की विकृति
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पहले से उपस्थित मंदाग्नि
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मंदाग्नि की वृद्धि
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आम दोष की उत्पत्ति एवं वात प्रकोप
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वायु द्वारा प्रेरित आम दोष का श्लेष्मा स्थानों पर पहुँचना
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धात्वाग्नि मन्दता
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मल संचय रूपी कफ द्वारा आम दोष की दुष्टि (दोष-दुष्टि )
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स्रोतोअ्भिष्यन्दता एवं स्रोतोवरोध
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स्थानसंश्रय एवं दोष दूष्य सम्मूर्च्छना
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आमवात का प्रादुर्भाव एवं लक्षणोंत्पत्ति
विशेष ::यहाँ पर
दोष - (१) आम दोष (२) वात और कफ
दूष्य - रस धातु
अधिष्ठान - संधि ,श्लेष्मधराकला ,मांसपेशी ,ऊतक
स्रोतस - रसवहा स्रोतस
दुष्टि - संग
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